Math pedagogy : गणित की भाषा { language of mathematics } for all tet exam

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 गणित की भाषा क्‍या है ? तथा गणितीय भाषा के उद्देश्‍य , महत्‍व, आवश्‍यकता, एवं गुणो को जानना हमारे लिए बहुत आवश्‍यक है तभी हम समझ सकते है की गणित की भाषा का हमारे जीवन में क्‍या उपयोग है तो चालिए जानते है कि गणित की भाषा क्‍या है 

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    गणित की भाषा का परिचय 

    गणित सम्‍प्रेषण का एक साधन या माध्‍यम है गणित शिक्षा में बालको द्वारा अनुभव की गई भाषा की कठिनाइयो पर अनेक महत्‍वपूर्ण अध्‍ययन हुए है 

    गणित शिक्षण में अध्‍यापक गणितीय संकल्‍पनाओ की जानकारी देने के लिए और विचारो को स्‍पष्‍ट करने के लिए साधारण बोलचाल की भाषा का प्रयोग करता है 

    भाषा अनुभव को यथाक्रम अन्‍तस्‍थ करने मे सहायक होती है आज के युग में कोई भी भौतिक शास्‍त्री  या अन्‍य कोई वैज्ञानिक अपने विषय का अध्‍ययन गणितीय भाषा के व्‍यापक प्रयोग के बिना नही कर सकता । 

    Math pedagogy : गणित की भाषा { language of mathematics } for all tet exam
    गणित की भाषा


    गणित एक भाषा के रूप में 

    गणित का प्रयोग एक विषय के साथ ही साथ एक भाषा के रूप में भी होता है । 

    1. गणित स्‍वत: एक भाषा है जिसे विभिन्‍न चिन्‍हो ओर नियमो के द्वारा समझाया जाता है 
    2. गणितीय भाषा गणित की जटिलताओ को समझने और तार्किक चिन्‍तन को बढ़ावा देते है । 
    3. गणित को सीखने –सिखाने , शिक्षण विधियो को जानने मे गणित भाषा मदद करती है ।


    गणितीय भाषा के उद्देश्‍य 

    1. गणित सीखने में साधारण  भाषा की भूमिका सिखाना
    2. शाब्दिक समस्‍याओ की कठिनाईयॉ दूर करना
    3. छात्रो को गणित की भाषा समझाने के तरीके निकालना 
    4. अपने शिक्षण राजनीतियो का मूल्‍यांकन करना ।


    गणितीय भाषा के गुण 

    1. गणितीय भाषा किसी वस्‍तु उसके नाम मे अन्‍तर को व्‍यक्‍त करती है जैसे संख्‍या और संख्‍याक , भिन्‍न और भिन्‍नात्‍मक संख्‍याएं या परिमेय संख्‍याएं 
    2. किसी एक विचार को अनेक प्रकार से नामकिंत या व्‍यक्‍त कर सकते है जैसे – कि योग को जोडिए मान ज्ञात कीजिए ‘कुल कितने ‘ आदि वाक्‍यांश से सम्‍बोधित कर सकते है ।
    3. गणित मे प्रश्‍नो को हल करने में विचारो की शुध्‍दता और आकडो की शुध्‍दता बनाए रखने के लिए हल को विशेष विधि के अनुसार  चरणो मे लिखा जाता है ।
    4. अन्‍य भाषाओ की तरह गणित की भाषा का भी अपना व्‍यकरण है इसमे भी संज्ञा, क्रिया और विेशेषण आदि पाये जाते है 
    5. गणित की भाषा के मुख्‍य गुण है –शुध्‍दता , यथार्थता और सक्षमता इसकी तुलना मे साधारण भाषा अस्‍पष्‍ट अनिश्चित और भावप्रेरक हो सकती है 

    गणितीय भाषा की विशेषताऍ 

    गणितीय भाषा की विशेषताऍ निम्‍नलिखित है । 
    1. गणितीय भाषा विभिन्‍न प्रकार की अवधारणा के मध्‍य अंतर स्‍पष्‍ट होने का प्रयास करती है । जैसे परिमेय संख्‍या एवं अपरिमेय संख्‍याऍ तथा प्राकृत एवं अप्राकृत संख्‍याऍ आदि । 
    2. गणित में प्रयुक्‍त विभिन्‍न प्रकार के चिन्‍ह भी किसी गणितीय सम्‍प्रत्‍यय की ओर संकेत करते है । 
    3. गणितीय सम्‍प्रत्‍ययों को स्‍पष्‍ट करने के लिए गणितीय भाषा का प्रयोग किया जाता है क्षेत्रफल , आयतन एवंक्रपृष्‍ठ आदि के लिए लम्‍बाई , चौड़ाई का प्रयोग किया जाता है ।
    4. गणितीय भाषा में रेखागणित के अंतर्गत त्रिभुज , चतुर्भुज , कर्ण, विकर्ण , एवं लम्‍ब,आदि शब्‍दों का प्रयोग किया जाता है जोकि अपने आप में महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखते है ।
    5. इसी प्रकार बीजगणित मे  चर राशि , अचर राशि , युगपत समीकरण वर्गानतर  शेषफल ,प्रमेय लामी का प्रयोग आदि का व्‍यापक रूप से प्रयोग होता है ।  

    गणितीय भाषा की आवश्‍यकता और महत्‍व 


    गणितीय भाषा की आवश्‍यकता और महत्‍व को निम्‍नलिखित रूप में स्‍पष्‍ट किया जा सकता है । 
    1. गणितीय भाषा के प्रयोग से गणित की कठिन से कठिन अवधारणाओं को सरल रूप में प्रस्‍तुत किया जा सकता है । जिससे कठिन गणितीय परिकल्‍पनाओ बोधगम्‍य रूप उपलब्‍ध होती है । 
    2. विभिन्‍न प्रकार की गणितीय अवधारणों को स्‍पष्‍ट करने के लिए गणितीय भाषा का ही प्रयोग आवश्‍यक है । 
    3. विभिन्‍न प्रकार की प्रमेय एवं निमयो को सिद्ध करने के लिए गणितीय शब्‍द एवं भाषा का प्रयोग किया जाता है । जैसे - चाप , लम्‍ब, एवं विकर्ण आदि । 
    4. गणितीय भाषा में प्रयुक्‍त होने वाले अनेक प्रकार के शब्‍द एवं संकेेत इस प्राकर के होते हे जोकि व्‍यापक अर्थ रखते है इनके प्रयो से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में कम समय लगता है । 
    5. गणितीय शब्‍दों के ज्ञान के लिए छात्रों को गणितीय भाषा का ज्ञान प्राप्‍त करना आवश्‍यक है जिससे कि वे गणित संंबंधी तथ्‍यों को समझ सकें तथा इनका प्रयोग कर सके । 

    आप सभी को यह जानकारी कैसी लगी कमेंट करे जरूर बातये । साथ ही आपके मन में कोई प्रश्‍न हो तो इसे भी लिख करे पुछे । 
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