आज की पोस्ट में हम जानने वाले है कि उपचारात्मक शिक्षण क्या है उपचारात्मक शिक्षक का अर्थ , परिभाषा , उद्देश्य , महत्व, विधियॉ , प्रक्रिया एवं क्षेत्र सभी बिन्दुओ को अच्छे से जानने के लिए पोस्ट को अंत तक जरूर पढे जिससे परीक्षा में आने वाला हर प्रश्न आप की सोच से बाहर नही जाना चाहिए
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उपचारात्मक शिक्षण का अर्थ
शिक्षा जगत में उपचारात्मक शब्द चिकित्सा शास्त्र से लिया गया है जिसे प्रकार एक डॉक्टर विभिन्न परीक्षणों के द्वारा रोगी के रोग का कारण का पता लगाकर उसकी उचित चिकित्सा करता है ठीक उसी प्रकार एक कुशल शिक्षक विभिन्न शिक्षण विधियों तथा प्रविधि, परीक्षणों , निरीक्षण वा वार्तालाप के आधार पर शैक्षणिक द्ष्टि से पिछडे व कमजोर बच्चों की कठिनाइयों का पता लगाकर उसको उपचारात्म्क शिक्षण के द्वारा कठिनाइयों को दूर करके विद्यार्थियों के सीखने की क्षमता में वृदि्ध करता है सामान्य बालको की श्रेणी में लाने का प्रयास करता है
उपचारात्मक शिक्षण की परिभाषा
योकम व सिम्पसन के अनुसार – उपचारात्म्क शिक्षण उस विधि को खोजने का प्रयत्न करता है जो छांत्र को अपनी कुशलता या विचार की त्रुटियों को दूर करने में सफलता प्रदान करे ।उपचारात्मक शिक्षण तथा इसका महत्व
- निदानात्मक शिक्षण द्वारा विद्यार्थियों को सीखने में आने वाली कठिनाइयों का पता चल जाता है
- उपचारात्म्क शिक्षण के द्वारा उन कठिनाइयों को दूर करके विद्यार्थी के व्यक्तिगत विकास को बल दिया जाता है
- छात्रों की हीन भावना दूर करने में उपचारात्मक शिक्षण महत्वपूर्ण् भूमिका निभाता है
- उपचारात्म्क शिक्षण शिक्षण को प्रभावशाली बनाने मे सहायक होता है
- उपचारात्मक शिक्षण अच्छे शिक्षण का एक महत्वपूर्ण अंग है
उपचारात्मक शिक्षण के उद्देश्य
- छात्रों की अधिगम संबंधी त्रुटियों को दूर करना
- छात्रों की ज्ञान संबंधी त्रुटियों को दूर करके , उनको आने वाले समय में होने वाले दोषों से मुक्त करना
- छात्रों के दोषपूर्ण आदतों को सीखना जो आज तकी सीखी नही गयी है
- उत्तम भाषा प्रयोग की क्षमता प्रदान करना
- समय एवं शक्ति का संरक्षण
- मंदबुद्धि बालकों में आत्मविश्वास बढाना
- संस्कृत भाषा के प्रति रूचि उत्पन्न् करना व्यक्तिगत भिन्नता के आधार पर पाठना
उपचारात्मक विधियॉ / उपाय
- छात्रों की त्रुटियों को यदा- कदा सही करना
- छात्र के अधिगमसंबंधी दोषो का व्यक्तिगत रूप से अध्ययन करउनकेा दूर करने का उपाय बताना
- व्यक्तिगत विभिन्नताओ के आधार पर समूह में विभाजित कर शिक्षण की व्यवस्था करना
- आवश्यकतानुसार शिक्षा देना
- अधिगम संबंधी देाष, कमजोरियों और बुरी आदतो का निदान करना
उपचारात्मक शिक्षण के क्षेत्र
- वाचन या पाठन
- लेखन
- उच्चारण
- भाषा या व्याकरण
- अड्कगणित
उपचारात्मक शिक्षण की प्रक्रिया
- प्रत्यके छात्र के स्तर के अनुार उपचारात्मक शिक्षण करना
- प्रत्यके सप्ताह छात्र की प्रगति की जॉच होनी चाहिए
- छात्र में यदि दोष दिखाई दे तो उन्हे प्रदर्शित नही करना चहिए , क्योकि इससे ही भावना जागृत होती है उसकी हीनभावना का प्रभाव उसके अधिगम पर पडेगा
उपचारात्मक शिक्षण निर्माण प्रक्रिया
- निदानात्मक परीक्षणों में छात्रों के द्वारा की गई त्रुटियों का विश्लेषण अवश्य करना चाहिए
- त्रुटियों के आधार पर अलग अलग अभ्यासों का निर्माण करना चाहिए
- विशेष सामग्री के आधार पर त्रुटियों के प्रकार एवं उनके कारण जानने चाहिए
- अध्ययन के अनुसार ही अभ्यास माला का निर्माण होना चाहिए
- एक ही प्रकार की त्रुटि के लिए विभिन्न प्रकार के अभ्यास प्रश्न होने चाहिए ।
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हम ने सीखा -
इस पोस्ट में हम ने देखा की उपचारात्मक शिक्षण क्या होता है , इसका अर्थ , प्रकार , परिभाषा , सिद्धांत सभी को हम ने विस्तार से जाना आशा करता हॅू । आप सभी को यह पोस्ट अच्छी लगी होगी । अच्छी लगी हो तो अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करे ।