वृद्धि और विकास को प्रभावित करने वाले कारक को जानने से पहले हमें वृद्धि क्या है ? विकास क्या है इन दोनो के बीच अंतर आदि को जानना बहुत जरूरी है सामान्यत: बालेचाल की भाषा में वृद्धि और विकास शब्द का प्रयोग एक ही अभिप्राय के लिये किया जाता है जबकि वास्वत में ये दोनो शब्द अपना अलग-अलग अर्थ व महत्व रखते है । वृद्धि और विकास(Growth and Development) का अर्थ , परिभाषा, अंतर एवं इनको प्रभावित करने वाले कारक
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वृद्धि क्या है ?
वृद्धि या अभिवृद्धि एक साधारण प्रक्रिया है जिसमें केवल और केवल शारीरिक परिवर्तन ही सम्मिलित होते है । वृद्धि गर्भाधान के लगभग दो सप्ताह बाद प्रारम्भ होती है और बीस वर्ष की अयु के आस पास समाप्त हो जाती है।
वृद्धि का अर्थ -
वृद्धि का अर्थ है सिर्फ जीव शरीर के आंतरिक और बाह्य अंगो का बढ़ना या फैलना है ।
वृद्धि की परिभाषा
हरलॉक के अनुसार- अभिवृद्धि से आशय प्राणी के आकार तथा संरचना संबंधी परिवर्तन से है ।
सोरेनसन के अनुसार - अभिवृद्धि से आशय ,शरीर तथा शारीरिक अंगो में भार एवं आकार की दृष्टि से वृद्धि होना है जिसका मापन संभव हो ।
विकास क्या है ?
विकास जीवो में होने वाली एक जटिल व क्रमिक प्रक्रिया है जो गर्भाधान के समय से मृत्युपर्यन्त तक किसी न किसी रूप में चलती रहती है व परिवर्तनो के रूप में दृष्टिगोचर होती है ।
विकास का अर्थ
विकास का अर्थ है जन्म से लेकर जीवनपर्यन्त तक अविराम गति से चलते रहना ।
विकास की परिभाषा
हरलॉक के अनुसार - विकास का आशय , वे व्यवस्थित तथा समानुगत परिवर्तन जो परिपक्वता की प्राप्ति में सहायक हो ।
स्किनर के अनुसार - विकास जीव और उसके वातावरण की अंत:क्रिया का प्रतिफल है ।
वृद्धि और विकास में अंतर
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वृद्धि और विकास को प्रभावित करने वाले तत्व या कारक
2. बुद्धि - मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के आधार पर निश्चित किया है कि कुशाग्र बुद्धि वाले बालकों का शारीरिक एवं मानसिक विकास मंदबुद्धि वाले बालकों की अपेक्षा अधिक तेज गति से होता है अतः कुशाग्र बुद्धि बालक शीघ्र बोलने और चलने लगता है
3. लिंंग भेद - जन्म के समय बालकों का आकार व भार बड़ा होता है किंतु बाद में बालिकाओं में शारीरिक विकास की गति तीव्र होती है बालिकाओं में मानसिक एवं यौन परिपक्वता बालकों से पहले आ जाती है
4. प्रजाति - एक प्रजाति के लोग दूसरी जाति के लोगों से न केवल शारीरिक गठन वर्ण और स्थिति में भिन्न होते हैं मानसिक योग्यता और बुद्धि ने पृथक होते हैं
5. पोषण- पोषण किसी भी बालक के विकास में पोषण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है धर्म कालीन अवस्था से लेकर जीवन पर्यंत तक प्राणी को जीवित स्वस्थ बने रहने के लिए उत्तम की आवश्यकता होती है
6. विभिन्न प्रकार की बीमारियां - बालक का अभिवृद्धि तथा विकास बालक में होने वाली विभिन्न बीमारियां से प्रभावित होता है जैसे गर्भावस्था में मां को होने वाली कई घातक बीमारियां पालक के मानसिक व शारीरिक विकास को प्रभावित करती है
7.घर का वातावरण - पारिवारिक वातावरण कई रूपों में बालक के विकास को प्रभावित करता है जैसे - माता पिता के आपसी संबंध , बालक और अभिभावक का संबंध , बाल पोषण आदि ।
8. ग्रंथिय स्राव - हमारे शरीर में बहुत सारी अन्त: स्रावी ग्रंथियॉं पायी जाती है । ये स्त्राव हमारे शारीरिक तथा मानसिक विकास को भी प्रभावित करते है ।
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हम ने सीखा :-
इस पोस्ट में हम ने जाना कि वृद्धि और विकास क्या है इसका अर्थ , अंतर तथा साथ ही वृद्धि और विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से है । अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो हमें कमेंट करके जरूर बातये साथ ही अपने उन दोस्तो के साथ जरूर शेयर करे जो शिक्षक पात्रता परीक्षा की तैयारी कर रहे हो ।