समाजीकरण प्रक्रियाऍं (Socialization processes) अर्थ , परिभाषा , सिद्धांत एवं विशेषताऍं

समाजीकरण प्रक्रियाऍं अर्थ परिभाषा अवस्‍थाऍ , प्रकार, सिद्धांत, विशेषताऍ , ,समाजीकरण की प्रक्रिया में अभिभावक,शिक्षक एवं मित्र की भूमिका,

 हम इस पोस्‍ट में जानने वाले है कि समाजीकरण क्‍या है ? समाजीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताऍ एवं अवस्‍थाऍ साथ ही यह भी जानेगें कि समाजीकरण की प्रक्रिया में शिक्षक, अभिभावक और मित्र की क्‍या भूमिका होती है ये भी जानने का प्रयास करेगें । 

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समाजीकरण प्रक्रियाऍं अर्थ परिभाषा अवस्‍थाऍ , प्रकार, सिद्धांत, विशेषताऍ , ,समाजीकरण की प्रक्रिया में अभिभावक,शिक्षक एवं मित्र की भूमिका,

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समाजीकरण का अर्थ ( समाज से एकीकरण )

समाजीकरण वह प्रक्रिया है जो व्‍यक्ति को सामाजिक व्‍यवहार से एकीकृत करती है अर्थात समाजीकरण एक प्रकार से सामाजिक नियमो का अधिग्रहण है समाजीकरण से व्‍यक्ति जीवन से संबंधित विभिन्‍न व्‍यवहार को सीखता है 

जैसे – परोपकार , आत्‍मनिर्भरता ,दया की भावना , संस्‍कार , धर्म , संस्‍कृति, मानवीय मूल्‍य तथा नैतिकता आदि । 



    समाजीकरण की परिभाषा 

    हरलॉक महोदय के अनुसार - सामाजिक विकास से अभिप्रार्य सामाजिक संबं‍धों में परिपक्‍वता प्राप्‍त करने से है । 

    रॉस – सहयोग करने में ‘’ हम की भावना ’’ का विकास और उनके साथ काम करने की क्षमता का वि‍कास तथा संकल्‍प । 

    जॉनसन – समाजीकरण एक प्रकार का सीखना है  जो सीखने वाले को सामाजिक कार्य करने योग्‍य बनाता है |


    समाजीकरण की विशेषताऍ 

      1. समाजीकरण सीखने की एक प्रक्रिया है ।
      2. सांस्‍कृतिक गुणो का पीढ़ी से दूसरी  पीढ़ी में हस्‍तांतरित करता है
      3. समाजीकरण एक सतत् प्रक्रिया है जो जन्‍म से मृत्‍यु तक चलती हे 
      4. समाजीकरण संस्‍कृति को आत्‍मसात् करने वाली एक प्रक्रिया है ।
      5. समाजीकरण समाज की प्रकार्यात्‍मक सदस्‍य बनने की प्रक्रिया है ।



    समाजीकरण की प्रक्रिया में योगदान करने वाले कारक या तत्‍व 


    परिवार - जैसे-जैसे बालक बड़ा होता जाता है वैस-वैसे अपने माता-पिता भाई बहिनो  व परिवार के अन्‍य सदस्‍यो के सम्‍पर्क में आता है । और प्रेम , सहानुभूति ,सहनशीलता, तथा सहयोग आदि सामाजिक गुणों को सीखता है । 

    पड़ोस -  जिसप्रकार बालक परिवार से अन्‍त:क्रिया द्वारा अपनी संस्‍कृति एवं सामाजिक गुणों को प्राप्‍त करता है  । ठीक उसी प्रकार पड़ोस में रहने वाले विभिन्‍न सदस्‍यो के सम्‍पर्क मे रहकर बालक विभिन्‍न बातो को सीखता है । 

    विद्यालय - विद्यालय में विभिन्‍न प्रकार के परिवारो के बालक पढ़ने आते है बालक इनके साथ रहकर सामाजिक प्रतिक्रिया करता है तथा सामाजिक नियमों, रीतिरिवाजो, परम्‍पराओ आदर्शो मूल्‍याें का ज्ञान प्राप्‍त करता है । 

    खेलकूद - खेलते समय बालक जाति-पाति, ऊंच-नीच तथा अन्‍य प्रकार के भेद भाव भूल जाता है और सभी के साथ आनंद लेता है क्‍योकि खेल में अंत:क्रिया का सबसे अच्‍छा प्रदर्शन होता है । जो समाजीकरण मे सहायक है । 

    जाति - प्रत्‍येक जाति की अपनी कुछ सांस्‍कृतिक , उपलब्धियॉ , परम्‍पराय , रीतिरिवाज एवं प्रथाऍ होती है । और सभी लोग चाहते है कि बालक अपने जाति गुणों को ग्रहण करे क्‍योकि इससे समाजीकरण होात है  ।

    धर्म - प्रत्‍येक धर्म के कुछ संस्‍कार , परम्‍पराऍ आदर्श और मूल्‍य होते है तथा जैसे जेसे बालक बडा होता है तो अन्‍य धर्मो के व्‍यक्तियों या समूहो के सम्‍पर्क में आकर उन्‍हे भी सीख जाता है । इस प्रकार उसका सामाजिक विकास और विशाल होा जाता है ।  
     



    समाजीकरण के सिद्धांत 

    बहुत से विद्वानो में समाजीकरण के सिद्धांत बताए तथा यह भी बातने का प्रयास किया कि व्‍यक्ति कैसे अपने समाज के आदर्शो के मूल्‍यों को सीखता है । समाजीकरण के सिद्धांत जो कि इस प्रकार है । 

    कुले का स्‍वदर्पण सिध्‍दांत (looking glass theory ) - एच सी कूले  

    एच सी कूले  द्वारा 1902 में प्रतिपादित किया गया था इस सिध्‍दांत के अंतर्गत कूले कहते है की समाज एक दर्पण के समान है व्‍यक्ति अपने आपको वैसे ही बनता है जैसे समाज मे वो रहता है । 

      1. इसमें समाज एक दर्पण की तरह होता है  जिसमें व्‍यक्ति देखकर सीखता है 
      2. इसी को कूले ने स्व / आत्‍म दर्पण का सिध्‍दांत कहा है । 

    मीड का सिध्‍दांत – ( मै और मुझे का सिध्‍दांत ) - जार्ज हर्बर्ट मीड

    इन्‍होने 1934 में दिया इस सिध्‍दांत के अनुसार एक व्‍यक्ति जो अपने मन में धारण करता है वह दूसरो के साथ सामाजिक बातचीत से उभरता है ।

      1. इसी को आत्‍मचेतना सिध्‍दांत भी कहा जाता है । 
      2. आत्‍मा का विकास संवेगात्‍मक की अपेक्षा ज्ञानात्‍मक अधिक होता है 

    दुर्खीम का सामूहिक प्रतिनिधित्‍व का सिध्‍दांत - डेविड इमाईल दुर्खीम

    इस सिध्‍दांत के अनुसार बालक जिस समाज मे पैदा हुआ है वो उसी की तरह व्‍यवहार और आचरण करने लगता है  उस पर उसके समाज की मान्‍यताओ आदर्शो एवं संस्‍कारो का असर दिखाई देता है । 

      1. इसी को सामूहि प्रतिनिधित्‍व का सिध्‍दांत भी कहते है । 
      2. ये फ्रांस के महान समाजशास्‍त्री थे । 






    समाजीकरण की अवस्‍थाऍ 

    समाजीकरण जीवनपर्यन्‍त चलने वाली एक लम्‍बी प्रक्रिया है । व्‍यक्ति की उम्र जैसे - जैसे बढ़ती जाती है । वह अनेक परिस्थितियों से होकर गुजरता है बढ़ती उम्र के साथ व्‍यक्ति में न सिर्फ शारीरिक परिपक्‍वता आती है । बल्कि समाजीकरण की प्रकृति में भी परिवर्तन होता है । 

     
      1. शैशवावस्‍था
      2. प्रारम्भिक बाल्‍यावस्‍था
      3. उत्‍तर बाल्‍यावस्‍था
      4. किशोरावस्‍था 





    समाजीकरण के प्रकार 

    समाजीकरण के दो प्रकार होते है । 
      1. प्राथमिक समाजीकरण ( परिवार , मित्र ) 
        1. यह भविष्‍य में होने वाले समाजीकरण का आधार है 
        2. बालक के जीवन की शुरूआत परिवार , मित्र 
      2. दितीयक या गौण समाजीकरण ( विघालय , खेल का मैदान , पडोसी )
        1. सामुदायिक तरीके से सीखने का व्‍यवहार 
        2. इस प्रकार का समाजीकरण विघालयो खेल के मैदान तथा पड़ौसियो के संदर्भ में देखने को मिलता है ।



      

    समाजीकरण की प्रक्रिया में भूमिका 


    शिक्षक की भूमिका 

    शिक्षक बालक के समाजीकरण को प्रभावित करता है शिक्षक के स्‍नेह, पक्षपात, बूरे व्‍यवहार, दण्‍ड आदि का सभी बच्‍चाे पर कुछ न कुछ प्रभाव पड़ता है और उसका सामाजिक विकास उत्तम या विकृत हो जाता है । यदि शिक्षक मित्रता और सहयोग में विश्‍वास करता है  । तो बच्‍चो में भी इन गुणों का विकास होता है । यदि शिक्षक तनिक-तनिक सी बातो पर बच्‍चो को दण्‍ड देता है तो उसके समाजीकरण में संकीर्णता आ जाती है । यदि शिक्षक अपने छात्रो के प्रति सहनुभूति रखता है तो छात्रों  का समाजीकरण सामान्‍य रूप से होता है । 

    अभिभावक की भूमिका 

    बच्‍चों के समाजीकरण पर उसके परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का गहरा प्रभाव पड़ता है । बच्‍चों का अपने परिवार में लोगों के साथ संबंध कैसे है तथा उनके बीच अंतर्क्रिया किस रूप में होती है । इसका उनके समाजीकरण पर व्‍यापक प्रभाव पड़ता है । यदि परिवार में एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना हो तो बालक में भी उसी तरह की भावना का विकास होता है । अत: बालक की यह भावना उसके बाह्य समाज में भी देखने को मिलती है । 


    मित्र या साथी की भूमिका 

    बालको के समाजीकरण में उनके समकक्ष मित्रों का भी महत्‍वपूर्ण योगदान होता है । बच्‍चें आपसी संपर्क द्वारा विभिन्‍न प्रकार के व्‍यवहार सीखते है ऐसे व्‍यवहार उनके समाजीकरण में अहम् भूमिका निभाते है । मित्रों का चयन कोई बालक स्‍वयं अपनी इच्‍छानुसार करता है । समाजीकरण की अवधि में संभवत् पहली बार वह स्‍वत: अन्‍य बालको को अपना मित्र चुनता है । मित्र के रूप में जिनका चयन किया जाता है । उनके आचरण तथा विचार उसके समाजीकरण की दिशा को निर्धारित करते  है । 


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    हम ने सीखा - इस पोस्‍ट मे हम ने समाजीकरण की प्रक्रियाऍ को अत्‍यधिक गहाराई से अध्‍ययन किया जिसमें हम ने समाजीकरण का अर्थ , परिभाषा , विशेषताऍ,  कारक , अवस्‍थाऍ , प्रकार तथा भूमिका निभाने वाले शिक्षक अभिभावक , एवं मित्र मे बारे में जाना आशा करता हॅू । कि आप सभी को यह पोस्‍ट अच्‍छी लगी होगी  ।  

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